लॉकडाउन से रोजी-रोटी का संकट / अहमदाबाद, सूरत और नागपुर से पैदल ही मध्य प्रदेश लौट रहे मजदूर; बोले- सब बंद हो गया, अब भूखे मरना है तो अपने घर लौटकर मरें





दिन के लॉक डाउन की सबसे ज्यादा मार मजदूर वर्ग पर पड़ी है। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। मध्य प्रदेश के बैतूल से लगी महाराष्ट्र की सीमा पर नागपुर से मजदूरों का समूह पैदल 200 किलोमीटर की यात्रा कर घर लौटने को मजबूर हैं। वहीं अहमदाबाद गए मुरैना के करीब 100 ऑटो चालक आज सुबह पलायन कर शिवपुरी पहुंच गए हैं। उन्होंने तीन दिन में करीब 1000 किलोमीटर की यात्रा की है। बोले- तीन दिन से खाना नहीं मिला है, जो वहां से लेकर चले थे, वह रास्ते में खत्म हो गया था। इधर, धार से सूरत कमाने गए मजदूर पैदल चलकर घर लौट रहे हैं। उनका कहना है कि शहर के शहर बंद हो गए हैं, हमारे लिए कोई काम ही नहीं बचा है। होली के बाद रोजी-रोटी कमाने के जुगाड़ में गए थे, लेकिन अचानक ही सब बंद हो गया। अगर भूखे ही मरना है तो फिर अपने घर चलकर ही मरें। मजदूरों के साथ पूरा परिवार है, औरतें, बच्चे और बुजुर्ग सब शामिल हैं। 







अहमदाबाद से ऑटो लेकर घर लौट पड़े चालक 


गुजरात के अहमदाबाद गए करीब 100 ऑटो चालक एक हजार किलोमीटर की यात्रा कर शुक्रवार को सुबह शिवपुरी पहुंचे। यहां पर समाजसेवी संस्थाओं ने उन्हें भोजन कराया और इसके बाद रवाना कर दिया। ये सभी ऑटो चालक मुरैना जिले के रहने वाले हैं। ये सभी अहमदाबाद में ऑटो चलाते हैं और परिवार के साथ वहां रहते थे, लेकिन पूरे देश में लॉकडाउन होने के बाद इन्हें घर वापस लौटना पड़ा। बीच में जहां पर भोजन मिल गया तो खा लिया, वरना भूखे-प्यासे यात्रा कर रहे हैं। चूंकि इनकी स्क्रीनिंग नहीं हुई है, इसलिए अब मुरैना जिला प्रशासन इसके प्रबंध कर रहा है। 


सैकड़ों की संख्या में सूरत से पैदल चलकर आ रहे मजदूर 


सूरत गए ग्वालियर चंबल के मजदूर बड़ी संख्या में धार से मध्य प्रदेश में भूखे-प्यासे पैदल प्रवेश कर रहे हैं। धार जिला प्रशासन ने इन मजदूरों को रोककर उनकी जांच कराई जा रही है, इसके बाद खेतों में टेंपररी टेंट बनाकर वहां पर दूरी बनाकर बैठाने की व्यवस्था कर दी गई है। यहीं पर इन्हें भोजन भी कराया जा रहा है। इनमें से अधिकतर मजदूर ग्वालियर और चंबल क्षेत्र के हैं। पैदल ही चलकर आ रहे हैं। जांच के बाद यहां के प्रशासन ने मजदूरों ट्रकों और ट्रालों से उनके घरों के लिए रवाना किया है। अब तक सात वाहनों से मजदूरों को भेजा जा चुका है। ये मजदूर नेशनल हाइवे 59 से मध्य प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं। मजदूरों ने बताया कि वह हर रोज 50 किलोमीटर का सफर करते हैं।


लॉक डाउन के कारण नागपुर से लौटना पड़ा 


बैतूल और बालाघाट के हजारों मजदूरों को 21 दिन के लॉक डाउन में अपने घरों को लौटना पड़ा। मजदूर होली की छुट्टी मनाने के बाद नागपुर काम की तलाश में चले गए थे, लेकिन कुछ दिन में महामारी फैली और इन्हें वापस लौटना पड़ा, तीन दिन से पैदल चल रहे हैं, तब मध्य प्रदेश के बैतूल सीमा में पहुंचे हैं। यहां पर डॉक्टरों ने मजदूरों की स्क्रीनिंग कराई और इसके बाद स्वयंसेवी संस्थाओं ने इन्हें भोजन कराया। बालाघाट से महाराष्ट्र गए घरेलू मजदूरों को भी लौटना पड़ा है। उनकी सीमावर्ती इलाके में स्क्रीनिंग कराई जा रही है। यहां पर अब तक करीब 12 हजार मजदूर महाराष्ट्र से लौटे हैं।